Thursday 1 March 2018

hey! So all of us are now ready to go colourful even some of us are already coloured. No doubts Holi is a festival of joy in fact in this we are allowed to eat non-veg, trust me for me it is most important :-p. According to our rituals, its our new year, some buy new cloth some will make fun of that but for all of us, Holi owns same meaning and joy. As I m writing after a long gap I wanted to pen down my feelings for this amazing festival.

होली 
रंग, गुलाल,पकवान है इसकी पहचान।
रंगो की परिभाषा है ये त्योहार।
सबने बनाये रंगो के अनेक मतलब ,
कभी लाल खतरा तो कभी सुहाग ,
कभी सफ़ेद उदासी तो कभी स्वाभिमान।
इंसानो  ने बनाया रंगो की अपनी परिभाषा ,
पर हर रंग का वास्तव स्वभाव
दिखाता होली का भाव।

जहाँ चेहरे पे काला रंग लगे तो हो बदनामी ,
वही होली में न लगे पक्का काला रंग तो हो हैरानी। 
जहाँ लाल बने ख़ुशी , हरा बने उल्हास,
वही चमकीले रंगो का क्या कहना ,
लगाने वाला हो हीरो वही छूटाने वाला हो बेहाल। 
कीचड़ ,कादो ,मिट्टी जिनसे रहते सब दुर ,
जो कभी लगे चप्पल पे तो न हो मन्जूर ,
होली बड़ा दे उनका भी गुरुर । 

घर की होली होती सबसे प्यारी 
क्योकि मिले दही वाड़े और कस्टर्ड की प्याली। 
होलिका दहन में मिले पकोड़ो की थाली ,
हो साथ दाल पूरी ,चिकन,मटन ,पकवानो की त्यारी।  
सफाई लगे जितनी प्यारी ,होली में रंगो के निसानो उतनी न्यारी। 

घर की होली तो सबने खेली, जो कभी खेली छात्रावास वाली होली,
आती  तो होगी घर के पकवानो कि  याद ,
पर फुरसत कहाँ याद करने की। 
शुबह से दोपहर , रंग और गुलाल ,
टमाटर , अंडे ,बनते दोस्तों के हतियार। 
शाम से रात , झरनो के पानी से रंगो का मिलाप। 
गानो से पानी के बूंदो का ताल ,
उसमे थिरकती रंगों  का खेल। 
दोस्तों का चेहरा और उनका कपड़ा बना ख़ुशी का चित्रकला।
यहाँ मिलता कही प्यार का तोफा ,
तो कही भांग का प्याला। 
कॉलेज की होली होती बड़ी न्यारी,  ,
इसकी लीला अत्यंत निराली। 
अर्चि सौरभ 

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